बनारस न्यूज डेस्क: दिल्ली में हुई बारिश और पछुआ हवाओं के प्रभाव से वाराणसी में ठंड का प्रभाव बढ़ गया है। रात के समय कोहरे और गलन के कारण ठंड और अधिक महसूस हो रही है, हालांकि दिन में तेज धूप के चलते ठंड थोड़ी कम होती है। लेकिन इस बढ़ती ठंड के बीच, गरीब और मजदूर वर्ग को राहत देने के लिए जो व्यवस्थाएं की गई थीं, वे जमीनी स्तर पर नाकाफी साबित हो रही हैं।
नगर निगम और जिला प्रशासन ने रैन बसेरों की व्यवस्था का दावा किया था, लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही दिख रही है। कई स्थानों पर रैन बसेरों की हालत बहुत ही खराब है और वहां पर सुविधाओं की कमी साफ तौर पर देखी जा रही है। इसके साथ ही, ठंड से बचाने के लिए अलाव जलाने की व्यवस्था भी बेहद धीमी गति से चल रही है, और जिन स्थानों पर इसकी आवश्यकता है, वहां अब तक अलाव नहीं जलाए गए हैं।
महानगर कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष राघवेंद्र चौबे और नगर निवासी जयप्रकाश यादव ने प्रशासन की तैयारियों पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि देव दीपावली के बाद से ही ठंड का मौसम शुरू हो चुका था, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। उन्होंने यह भी बताया कि गरीब और मजदूर वर्ग सड़कों और चबूतरों पर ठिठुरने को मजबूर हैं, जबकि महाकुंभ के कारण शहर में दर्शनार्थियों की संख्या बढ़ी है, लेकिन प्रशासन की तैयारियां न के बराबर हैं।
नागरिकों ने प्रशासन से मांग की है कि स्कूलों का समय सुबह 9 बजे से शुरू किया जाए, ताकि छोटे बच्चों को राहत मिल सके। इसके साथ ही, चौराहों और प्रमुख स्थानों पर अलाव की व्यवस्था की जाए, रैन बसेरों की संख्या बढ़ाई जाए और उनकी स्थिति में सुधार किया जाए, ताकि ठंड से बचाव की व्यवस्था बेहतर हो सके।