वाराणसी। शिव की नगरी काशी और राम की नगरी अयोध्या से प्रगाढ़ रिश्ता है। यह रिश्ता रामलाल की प्राण प्रतिष्ठा पर जग जाहिर हो रहा है। कभी प्राण प्रतिष्ठा का मुहूर्त तो कभी प्राण प्रतिष्ठा करवाने के लिए पुरोहित का चयन काशी से किया गया तो अब होने वाले भव्य यज्ञ में वेद पुराणों में उल्लेखित और लिखे हुए मान्यताओं के अनुसार लकड़ी के सामान काशी में तैयार हो रहे हैं। इन सामानों को काशी के काष्ठ शिल्पी सूरज विश्कर्मा जी जान से बनाने में जुटे हुए हैं। सूरज ने बताया कि ये सभी सामान वैकंकत की लकड़ी से बना है सिर्फ अर्णी मंथा पीपल और शमी की लकड़ी से बनाकर तैयार किया गया है।
काशी में बनाए जा रहे यज्ञ आहुति पात्र
धर्म की नगरी काशी में काष्ठ शिल्पी इस समय अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयारियों में जुटे हैं। रामपुरा क्षेत्र के काष्ठ शिल्पी सूरज विश्वकर्मा भी जी जान से लगे हैं। उन्हें यज्ञ पात्र बनाने की जिम्मेमदारी मिली है। सूरज ने बताया कि उन्हें गजानंद ज्योतकर गुरु जी ने यज्ञ पात्र बनाने का ऑर्डर दिया था। 10 सेट यज्ञ पात्र बनाना था जिसमे से कुछ जा चुका है और 5 जनवरी तक बचा हुआ सभी अन्य पात्र भी चला जाएगा।
ये पात्र हैं प्रमुख
सूरज ने बताया कि यज्ञ में इस्तेमाल होने वाला सभी सामान यहां खास लकड़ी से तैयार किया गया है। यज्ञ पात्र अर्णी, मंथा, शंख, चक्र, गदा, पद्म, ये सारे आइटम तैयार किए गए हैं। इसमें सभी वैकंकत की लकड़ी से बनाया गया है पर अर्णी मंथा को पीपल और शमी की लकड़ी से तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि इसमें किसी भी प्रकार का पेंट नहीं यूज नहीं किया जाता है क्योंकि उसमे केमिकल होता है। इसलिए इसमें वार्निश लगाईं जाती है।
काशी के प्रकांड विद्वान लक्ष्मीकांत दीक्षित ने बताया है आकार और स्वरुप
सूरज विश्वकर्मा ने यज्ञ पात्रों के आकार स्वरूपों की सटीक जानकारी पर कहा कि यह आकार और स्वरुप पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित गुरूजी और उनके ताऊ गणेश्वर दीक्षित जी ने बताया है और हमारी यह चौथी पीढ़ी है जो इस काम में लगी हुई है। यहां पूरे आस्था और वैदिक नियमों के अनुसार इन पात्रों को बनाया जाता है।