वाराणसी । आईआईटी बीएचयू के 12वें दीक्षांत समारोह का आगाज हो गया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के चेयरमैन डॉ. समीर वी कामत 1660 मेधावियों को उपाधि और मेडल दिया गया। इसके साथ ही वाराणसी के IIT-BHU कैंपस में आज रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के रीजनल एक्सीलेंस सेंटर खुला। DRDO चीफ डॉ. कामथ ने कहा कि यह पूर्वांचल का पहला DRDO सेंटर है। इसका पूरा नाम होगा - रीजनल एक्सीलेंस सेंटर इंडस्ट्री एकेडमिया- सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (DIA-CoE). DRDO चेयरमैन डॉ. समीर वी कामथ ने रीजनल इसका उद्घाटन किया।
DRDO चेयरमैन वी कामथ ने कहा कि भारत रक्षा निर्यात में तेजी लाएगा। साल 2000 की बात है कि जब चीन का 90% तक निर्यात करता था। लेकिन, अब भारत की सूरत बदल गई है। IIT-BHU में DRDO का एक्सीलेंस सेंटर बन चुका है। इससे पहले IIT-BHU के 12वें दीक्षांत समारोह में चीफ गेस्ट डॉ. समीर वी कामथ ने लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट तेजस की चर्चा की। 2 दिन पहले तेजस-2 को लॉन्च किया गया था। इस तेजस जैसे हल्के लड़ाकू विमान देने वाले आज हम सभी के बीच मौजूद हैं। चेयरमैन ने IIT-BHU के BOG और तेजस के चीफ डिजाइनर कोटा हरिनारायण की ओर इंडिकेट करके कहा कि आपकी ही वजह से तेजस दुनिया भर में अपनी अलग पहचान बना रहा है।
आज दीक्षांत में 1660 मेधावियों को उपाधि और 66 छात्रों को 108 गोल्ड-सिल्वर मेडल दिया गया। 192 से ज्यादा रिसर्चर को PhD उपाधि भी मंच से दी गई। दीक्षांत में IIT-BHU के बोर्ड ऑफ गवर्नर चेयरमैन पद्मश्री डॉ. कोटा हरिनारायन और डायरेक्टर प्रो. प्रमोद कुमार जैन समेत पूरी फैकल्टी मौजूद थी।
DRDO और IIT-BHU के वैज्ञानिक हाई पॉवर माइक्रोवेव एनर्जी, एक तरह का वेव वेपन पर काम कर रहे हैं। यह किसी देश के इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट को डिसेबल कर सकता है। दावा किया जा रहा है कि इससे इंसानों को कोई खतरा नहीं होता है। वहीं, वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे रिडेएटेड इलेक्ट्रो मैग्नेटिक एनर्जी निकलता है। इस डिवाइस को लैब के प्लग या मिलिट्री वाहन के इंजन पर फिट किया जा सकता है। दुनिया में इस पर आधारित कुछ मिसाइल बनाए गए हैं। इसमें है बोइंग का CHAMP - काउंटर इलेक्ट्रॉनिक्स हाई पॉवर्ड माइक्रावेव एडवांस मिसाइल प्रोजेक्ट और दूसरा THOR यानी कि टेक्निकल हाई पॉवर ऑपरेशनल रिसपांडर है।