वाराणसी। ज्ञानवापी में सर्वे का आज चौथा दिन है। अब तक तीन दिनों के सर्वे में दोनों पक्षों के ओर से कई बयानबाजी हुई है। बयानों के आधार पर लग रहा है कि रोज नए सबूत सामने आ रहे हैं। दोनों पक्षों को मानने वाले लोग अपने हिसाब से आकलन कर रहे हैं कि वहां क्या है? हिंदू पक्ष का कहना है कि हम केवल इतिहास की सच्चाई बता रहे हैं, तो इससे परहेज क्यों? सच को जाहिर करने पर दबाव कैसा? हालांकि ASI की ओर से अभी तक इस मामले में कोई अधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। वहीँ सूत्रों के मुताबिक, ASI दोनों पक्षों के बयानबाजी से नाराज है।
दोनों पक्षों के वकीलों व ASI सर्वे से जुड़े लोगों का कहना है कि यह एक न्यायिक प्रक्रिया है, जो कि काफी लम्बा चलने वाला है। हालांकि इस बाबत कोर्ट ने ASI टीम क आदेश दिया है कि किसी भी स्थिति में सर्वे रिपोर्ट अदालत को 2 सितम्बर तक सौंप दें। इसी कारण से ASI सर्वे की जांच में कोई ढिलाई नहीं बरत रहा है। सर्वे के दौरान पूरी ज्ञानवापी बिल्डिंग को एक बार में देखने के लिए सैटेलाइट के जरिए थ्री डी इमेजिनेशन तैयार कराया जा रहा है। इसके लिए सर्वे टीम दीवारों की थ्रीडी इमेजिंग, मैपिंग और स्क्रीनिंग भी करेगी। मुस्लिम पक्ष से चाबी लेकर सर्वे टीम ने मुख्य तहख़ाने को भी खुलवा लिया है जिसे हिंदू पक्ष व्यास तहख़ाना कहता रहा है।
ओवरआल यदि बात करें तो इस पूरे प्रकरण की जांच बिलकुल ही निष्पक्ष तरीके से होगी। अदालत ASI द्वारा पेश की गई रिपोर्ट के बाद ही न्याय करेगी। अदालत के फैसले को दोनों पक्ष मानने को तैयार हैं। सूत्रों के मुताबिक, जी तरह से अयोध्या मामले में कोर्ट ने रिपोर्ट देखने के बाद अपना फैसला सुनाया था। वैसा ही कुछ फैसला कोर्ट काशी में भी सुना सकती है। अब जबकि मामला न्यायालय में है और न्यायालय के आदेश पर ही इसकी जांच कराई जा रही है, तो फिर दोनों पक्षों को मंदिर या मस्जिद जैसी बयानबाजी से परहेज करना चाहिए। किसी भी पक्ष को एक दूसरे के खिलाफ बयानबाजी से बचना चाहिए। सालों से चली आ रही परंपरा को अचानक से कैसे बदला जाय?
सर्वे पूरा होने और अदालत का निर्णय आने तक इस मामले में धैर्य तो रखा ही जा सकता है। वैसे भी भारतीय संस्कृति में एक कहावत है कि धैर्य से बड़ा कोई गहना नहीं होता। दोनों पक्ष इस गहने को कुछ दिनों के लिए धारण कर लें तो उससे बड़ा कोई गहना नहीं है। इससे शांति और सौहार्द बना रहेगा साथ ही हमारी संस्कृति और सभ्यता भी बची रहेगी। दूसरी ओर, मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अब इस मामले में बौद्ध धर्म गुरु ने भी सुप्रीमकोर्ट में याचिका डाली है। उन्होंने भी ज्ञानवापी को अपना बताया है। इसमें अच्छी बात यह है कि सब कुछ संवैधानिक तरीके से हो रहा है। खैर, कोर्ट ने ज्ञानवापी को लेकर जो ASI जांच के आदेश दिए हैं, उससे दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा। अब पूरा मामला कोर्ट के अधीन है। ज्ञानवापी को अपना बताने वाले सभी पक्षों को यह बात विशेष रूप से ध्यान रखनी चाहिए कि आपकी एक बयानबाजी पूरी की पूरी न्यायिक व्यवस्था में व्यवधान डाल सकती है। इससे देश में बने सम्प्रादयिकता में भी व्यवधान उत्पन्न हो सकता है। इसलिए सबकुछ न्यायालय के आदेश पर ही छोड़ देने में सभी का कल्याण है। अत: किसी भी तरह के बयानबाजी से बचें और न्यायिक तरीके से ज्ञानवापी परिसर के जांच में सहयोग करें।