वाराणसी। विश्व प्रसिद्ध रामनगर की रामलीला के आठवें दिन अयोध्या में राज्याभिषेक और कोप भवन प्रसंग की लीला का मंचन हुआ। राजा दशरथ ने राम को अयोध्या का उत्तराधिकारी बनाने का फैसला लिया।
राम के राजतिलक की तैयारियां शुरू हो गईं, यह देखकर देवताओं में खलबली मच गई। सेवक के कहने पर सुमंत कोपभवन पहुंचे तो वह राजा दशरथ की दशा देखकर काफी चिंतित हुए। कैकेयी ने उनसे राम को बुलाने को कहा। जब राम कोपभवन पहुंचे तो कैकेयी ने उन्हें वरदान के बारे में बताया। उनकी बात सुनकर श्रीराम सहर्ष वन जाने के लिए तैयार हो गए। दशरथ उन्हें गले लगाकर कुछ बोल नहीं पाए।
वहीं गुरु वशिष्ठ ने कैकेयी को समझाने का काफी प्रयत्न किया। सखियों ने भी उन्हें कोसा, लेकिन कैकेयी हठ पर अडिग रही। सुमंत ने कौशल्या को वरदान के बारे में बताया तो उन्होंने पिता की आज्ञा से राम को वन जाने की आज्ञा दे दी। उसी समय सीता आकर उनके चरण पकड़कर उन्हें प्रणाम करती हैं, तो मां कौशल्या उन्हें सदा सुहागन होने का आशीर्वाद देती हैं। भगवान की आरती के साथ लीला को विश्राम दिया जाता है।