जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। इस हमले में 26 से अधिक निर्दोष लोगों की मौत के बाद केंद्र सरकार ने पाकिस्तान के खिलाफ कुछ ऐतिहासिक फैसले लेते हुए कड़ा संदेश दिया है। वहीं, भारत की इस सख्ती से पाकिस्तान की हालत पतली हो गई है। घबराए हुए पाकिस्तान ने गुरुवार को एक आपातकालीन राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की बैठक बुलाई, जिसमें भारत के खिलाफ तीखी प्रतिक्रिया दी गई।
भारत ने उठाए ऐतिहासिक कदम
पहलगाम आतंकी हमले को लेकर भारत सरकार ने जो निर्णय लिए हैं, वे अब तक की सबसे कड़ी कार्रवाइयों में से एक माने जा रहे हैं। इन फैसलों में शामिल हैं:
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पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना।
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सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से निलंबित करना।
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अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद करना।
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पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने का अल्टीमेटम।
भारत के इन कदमों ने पाकिस्तान को हिलाकर रख दिया है। अब तक सिर्फ बयानबाज़ी करने वाले पाकिस्तान को जब असल कार्रवाई का सामना करना पड़ा, तो उसने तुरंत अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक बुलाई और उसमें भारत के खिलाफ चेतावनी देने का प्रयास किया।
इशाक डार की प्रतिक्रिया: डर या रणनीति?
पाकिस्तान के उप प्रधानमंत्री इशाक डार ने भारत की कार्रवाई पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि,
"भारत ने जो कदम उठाए हैं, वे एकतरफा, जल्दबाज़ी में लिए गए और गलत हैं।"
डार ने यह भी दावा किया कि भारत के पास ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं है जिससे यह साबित होता हो कि पहलगाम में हुए आतंकी हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता है। उन्होंने कहा कि भारत अपने आंतरिक हालात और राजनीतिक फायदे के लिए पाकिस्तान को निशाना बना रहा है।
डार की इस प्रतिक्रिया को राजनीतिक विश्लेषक पाकिस्तान की बौखलाहट मान रहे हैं, क्योंकि भारत के उठाए गए कदम किसी भी कूटनीतिक संवाद से परे हैं और ये सीधे तौर पर पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बनाने वाले हैं।
भारत का पलटवार: “सबूत हैं, और दुनिया देखेगी”
भारत सरकार की ओर से अब तक सार्वजनिक रूप से कोई विस्तृत बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, भारत के पास पाकिस्तान के आतंकियों के पहलगाम हमले में शामिल होने के स्पष्ट सबूत हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने पाकिस्तान से संचालित हो रहे आतंकी संगठनों की कॉल रिकॉर्डिंग, मैसेजिंग एप्स के चैट, और सीमापार से हुए संपर्कों की जानकारी एकत्र की है।
सूत्रों के मुताबिक, इन सबूतों को जल्द ही अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया जाएगा ताकि पाकिस्तान की झूठी कहानियों की पोल दुनिया के सामने खोली जा सके।
विश्लेषण: क्या यह संबंधों का अंतिम मोड़ है?
भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में तनाव कोई नई बात नहीं है, लेकिन पहलगाम हमले के बाद भारत की कार्रवाई को 'ऐतिहासिक मोड़' कहा जा सकता है। जहां एक ओर पाकिस्तान बार-बार बातचीत की दुहाई देता रहा है, वहीं आतंकी गतिविधियों पर उसकी दोहरी नीति भारत के लिए अब अस्वीकार्य हो चुकी है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि सिंधु जल संधि को निलंबित करना एक बड़ा भू-राजनीतिक कदम है, जिसका असर पाकिस्तान की कृषि अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। वहीं वीजा रद्द करने और बॉर्डर सील करने जैसे फैसले पाकिस्तान के आम नागरिकों के लिए भी एक चेतावनी हैं कि अगर आतंक का समर्थन जारी रहा, तो नतीजे भुगतने होंगे।
इशाक डार की गीदड़भभकी: पाकिस्तान का दोहरा चेहरा उजागर
इशाक डार का यह कहना कि भारत ने जल्दबाज़ी में फैसले लिए, असल में पाकिस्तान की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें वह पहले आतंकी घटनाओं को अंजाम देता है और फिर खुद को पीड़ित बताने की कोशिश करता है। बार-बार पाकिस्तान यह कहता रहा है कि उसके पास आतंकी संगठन नहीं हैं, जबकि हाफिज सईद, मसूद अजहर और अन्य आतंकी वहां खुलेआम घूमते रहे हैं।
डार का बयान यह दर्शाता है कि पाकिस्तान अब न केवल अंतरराष्ट्रीय दबाव में है, बल्कि घरेलू मोर्चे पर भी घिर चुका है। भारत के कदमों से वहां की सरकार और सेना पर जनता का भी दबाव बढ़ सकता है।
निष्कर्ष: भारत ने दिखाया नया दृष्टिकोण
पहलगाम हमले के बाद भारत ने जिस तरह से तीव्र, संगठित और स्पष्ट रुख अपनाया है, वह वैश्विक कूटनीति में भारत के आत्मविश्वास और दृढ़ता को दर्शाता है। अब भारत सिर्फ बात नहीं कर रहा, बल्कि कड़ा एक्शन ले रहा है। पाकिस्तान चाहे जितना भी झूठ बोले, अंतरराष्ट्रीय समुदाय अब सच को पहचान रहा है।
भारत का संदेश साफ है — आतंक और वार्ता एक साथ नहीं चल सकते। और अगर कोई देश आतंक का समर्थन करता है, तो उसे कूटनीतिक, आर्थिक और सामाजिक हर स्तर पर कीमत चुकानी होगी।