दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एक बार फिर कुख्यात सीरियल किलर ‘डॉक्टर डेथ’ उर्फ देवेंद्र शर्मा को गिरफ्तार कर लिया है। आयुर्वेदिक डॉक्टर से अपराधी बने इस शातिर ने 2002 से 2004 के बीच दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में टैक्सी और ट्रक ड्राइवरों की कई हत्याएं की थीं। तिहाड़ जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे देवेंद्र शर्मा को 2023 में पैरोल पर रिहा किया गया था, लेकिन वह फरार हो गया था। दो साल तक पुलिस की पकड़ से बचते हुए वह राजस्थान के दौसा में एक आश्रम में पुजारी बनकर छिपा हुआ था। आखिरकार, पुलिस ने छह महीने की कड़ी तलाशी के बाद 20 मई 2025 को उसे गिरफ्तार कर लिया।
50 से ज्यादा हत्याएं, गिनती छोड़ दी थी
देवेंद्र शर्मा ‘डॉक्टर डेथ’ के नाम से कुख्यात है और वह उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ का निवासी है। उसने 1984 में बिहार से बीएएमएस (आयुर्वेदिक चिकित्सा) की डिग्री प्राप्त की थी और राजस्थान के बांदीकुई में ‘जनता क्लिनिक’ भी चलाता था। लेकिन 1994 में एक गैस डीलरशिप घोटाले में 11 लाख रुपये के नुकसान के बाद उसने अपराध की राह पकड़ ली। शुरू में उसने नकली गैस एजेंसी चलाई, बाद में अवैध किडनी रैकेट में शामिल हो गया और अंततः सीरियल किलर बन गया।
पुलिस के मुताबिक, उसने 2002 से 2004 के बीच कम से कम 50 टैक्सी और ट्रक ड्राइवरों की हत्या की थी। उसने खुद स्वीकार किया था कि 50 हत्याओं के बाद उसने गिनती करना छोड़ दी थी, क्योंकि वह इतनी बड़ी संख्या में अपराध कर चुका था। यह संख्या अभी तक पूरी तरह पुष्टि नहीं हो पाई है, लेकिन पुलिस का मानना है कि उसकी भूमिका 100 से अधिक हत्याओं में हो सकती है।
क्रूरता की हदें पार
देवेंद्र शर्मा का अपराध करने का तरीका बेहद क्रूर था। वह फर्जी ट्रिप का बहाना बनाकर ड्राइवरों को बुलाता था। इसके बाद अपनी गैंग के साथ मिलकर उनकी हत्या कर देता था। वाहनों को ग्रे मार्केट में बेच देता था और लाशों को कासगंज की हजारा नहर में फेंक देता था। वहां मगरमच्छों की मौजूदगी के कारण शव पूरी तरह नष्ट हो जाते थे, जिससे कोई सबूत नहीं बचता था।
पुलिस ने बताया कि उसने कई हत्याओं में अपने साथियों के साथ मिलकर काम किया। उसकी क्रूरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उसने खुद माना था कि उसने 100 से ज्यादा हत्याओं में हिस्सा लिया है।
अवैध किडनी रैकेट का भी मास्टरमाइंड
सिर्फ हत्याओं तक ही सीमित नहीं, देवेंद्र शर्मा अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भी प्रमुख सदस्य था। 1994 से 2004 के बीच उसने गुरुग्राम के एक डॉक्टर के साथ मिलकर 125 से अधिक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट करवाए। इस रैकेट में वह किडनी डोनर्स की व्यवस्था करता था और हर ट्रांसप्लांट से 5 से 7 लाख रुपये कमाता था।
2004 में इस मामले में गुरुग्राम पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया और बाद में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई।
पैरोल पर रिहा होकर फरार
देवेंद्र शर्मा का पैरोल लेकर फरार हो जाना कोई नई बात नहीं है। 2020 में भी वह 20 दिन की पैरोल पर रिहा हुआ था, लेकिन सात महीने तक फरार रहा था। तब दिल्ली पुलिस ने बपरोला इलाके से उसे पकड़ा था।
फिर 2023 में तिहाड़ जेल से पैरोल पर रिहा होते ही वह फिर फरार हो गया। इस बार वह राजस्थान के दौसा में एक आश्रम में पुजारी बनकर छिपा रहा। दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने अलीगढ़, जयपुर, आगरा, प्रयागराज और दौसा में छह महीने तक तलाशी अभियान चलाया और अंततः उसे 20 मई 2025 को दौसा के आश्रम से गिरफ्तार कर लिया।
शिष्य बनकर पुलिस ने पकड़ा ‘डॉक्टर डेथ’
पकड़ में क्राइम ब्रांच की आरके पुरम यूनिट ने लंबी और सतर्क जांच की। पुलिस ने पहले अपने एक सदस्य को ‘शिष्य’ बनाकर देवेंद्र शर्मा के करीब पहुंचाया और उसकी लोकेशन की पुष्टि की। सही समय का इंतजार कर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
पूछताछ में देवेंद्र ने अपने जघन्य अपराधों को कबूल किया और बताया कि वह जेल वापस नहीं जाना चाहता था। डीसीपी गौतम ने बताया, “डॉक्टर शर्मा और उसके साथी फर्जी ट्रिप के लिए ड्राइवरों को बुलाते थे, उनकी हत्या करते थे और उनके वाहनों को ग्रे मार्केट में बेच देते थे।”
निष्कर्ष
देवेंद्र शर्मा जैसे अपराधी समाज के लिए बहुत बड़ा खतरा होते हैं। उनका गिरफ्तार होना कानून की सफलता है, लेकिन यह हमें याद दिलाता है कि अपराधियों के खिलाफ सतर्क रहना और जांच तेज करना कितना जरूरी है। पैरोल के दौरान ऐसे अपराधियों की कड़ी निगरानी होनी चाहिए ताकि वे दोबारा अपराध की ओर न लौट सकें।
इस मामले से हमें यह भी सीख मिलती है कि अपराध की जड़ को खत्म करने के लिए सिर्फ गिरफ्तारी नहीं, बल्कि सामाजिक सुधार, किडनी रैकेट जैसे गैरकानूनी धंधों की रोकथाम भी जरूरी है। पुलिस की इस सफलता से उम्मीद की जा सकती है कि भविष्य में ऐसे अपराधियों पर कड़ी नजर रखी जाएगी और जनता सुरक्षित महसूस करेगी।
अगर आप चाहें तो इस खबर को स्कूल असेंबली या किसी चर्चा में उपयोग कर सकते हैं ताकि समाज में जागरूकता बढ़े और अपराध के खिलाफ मजबूत संदेश जाए।