बनारस न्यूज डेस्क: वाराणसी में होने वाली भस्म या मसान की होली को लेकर विवाद गहराता जा रहा है। 11 मार्च को आयोजित इस आयोजन के खिलाफ हिंदू संगठन और बुद्धिजीवी खुलकर विरोध जता रहे हैं। इनका कहना है कि भस्म होली का कोई शास्त्रीय आधार नहीं है और शमशान घाट पर किसी भी तरह के उत्सव का आयोजन उचित नहीं है। इसे रोकने की मांग उठ रही है ताकि परंपरा के नाम पर किसी नई प्रथा को बढ़ावा न मिले।
विश्व वैदिक सनातन न्यास समेत कई हिंदू संगठनों ने बैठक कर इस आयोजन पर प्रतिबंध लगाने की अपील की। बैठक में बुद्धिजीवी वर्ग ने इस बात पर चिंता जताई कि युवाओं और बच्चियों का ऐसे स्थानों पर जाना अशुभ संकेत हो सकता है और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। संगठनों ने लोगों से अपील की कि वे इस आयोजन से दूर रहें और इसे बढ़ावा न दें।
काशी विद्वत परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री प्रोफेसर रामनारायण द्विवेदी ने भी भस्म होली का विरोध करते हुए कहा कि शास्त्रों में इसका कोई उल्लेख नहीं है। उन्होंने बताया कि शोक और ज्ञान के स्थल पर उत्सव नहीं मनाया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ साधु-संत इस आयोजन की आड़ में चिता भस्म से होली खेलने का प्रचार कर रहे हैं, लेकिन असल में वे अपने मठों और आश्रमों में होली खेलते हैं। उनका कहना है कि काशी की परंपरा को बनाए रखना जरूरी है और इस तरह के आयोजनों को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए।