22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले ने 27 लोगों की जान ले ली और 17 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। यह हमला उन निर्दोष लोगों पर किया गया, जो अपनी छुट्टियां मनाने पहलगाम आए थे। किसी ने हनीमून मनाने की योजना बनाई थी तो किसी ने अपनी सालगिरह मनाने का ख्वाब देखा था। कुछ परिवारों के घर बसने से पहले ही उजड़ गए, तो कुछ बच्चों के सामने उनके माता-पिता को मारा गया। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया।
आतंकी हमले में यह भी कहा जा रहा है कि आतंकियों ने लोगों से उनका धर्म पूछा और जो हिंदू थे, उन्हें तुरंत गोली मार दी। इस घटना ने न केवल कश्मीर, बल्कि पूरे देश को सन्न कर दिया। लेकिन इस हमले में एक बहादुर स्थानीय युवक, सैयद आदिल हुसैन शाह की शहादत भी हुई, जिनकी बहादुरी पर उनके पिता को गर्व है। आइए जानते हैं आदिल के पिता के बारे में उनके दिल को छूने वाले शब्दों को।
कब पता चला बेटे की मौत के बारे में?
सैयद आदिल हुसैन शाह के पिता, हैदर शाह से जब पूछा गया कि उन्हें अपने बेटे की मौत के बारे में कब पता चला, तो उन्होंने कहा, “जब हमें पहलगाम में हुए आतंकी हमले की खबर मिली, तो हम बहुत डर गए थे। हमारा बेटा घोड़ा लेकर वहां गया था। जब आदिल का चचेरा भाई और उसका दोस्त अस्पताल पहुंचे, तब हमें यह दर्दनाक खबर मिली कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा।”
"मुझे बेटे की शहादत पर गर्व है"
हैदर शाह ने दुखी होते हुए कहा, "मुझे दुख तो है कि मेरा सबसे बड़ा बेटा अब हमारे बीच नहीं है, लेकिन मुझे उस पर गर्व है। अगर आदिल न होता, तो और भी कई लोगों की जान जा सकती थी। वह बहुत बहादुर था। जब आतंकी कश्मीर को शर्मसार कर रहे थे, तब आदिल ने उनकी बंदूकों को पकड़ने की कोशिश की, उन्हें रोकने की कोशिश की और वह उनकी बंदूकें छीन रहा था।"
आदिल ने अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों को बचाने के लिए खुद को खतरे में डाला। उसके साहस और बलिदान को लेकर उसके पिता को बेहद गर्व है।
"बेटे के काम की वजह से जिंदा हूं"
हैदर शाह ने आगे कहा, “आज मैं अपने बेटे के नेक काम की वजह से जिंदा हूं। उसने लोगों की मदद की, महिलाओं की मदद की, और बच्चों की मदद की। उसने अपनी जान की परवाह नहीं की और दूसरों को बचाने के लिए अपनी जान खतरे में डाली। आदिल की इस बहादुरी पर मुझे गर्व है और इसी वजह से मैं आज जिंदा हूं। अगर वह न होता, तो उसकी मौत के बाद मैं भी मर जाता।"
आदिल हुसैन शाह की शहादत ने यह साबित कर दिया कि असली नायक वह होते हैं, जो दूसरों के लिए अपनी जान की परवाह किए बिना अपना कर्तव्य निभाते हैं। उनके पिता के शब्दों से यह स्पष्ट होता है कि उनका बेटा न केवल एक बहादुर जवान था, बल्कि एक सच्चा हीरो भी था।
इस घटना ने हम सभी को यह सिखाया कि कभी-कभी हमारी जान की कीमत से भी ज्यादा महत्वपूर्ण यह होता है कि हम अपने कर्तव्यों को निभाते हुए दूसरों की जान बचाएं। आदिल हुसैन शाह की शहादत हमेशा याद रखी जाएगी।