बनारस न्यूज डेस्क: गंगा का बढ़ता जलस्तर अब डराने लगा है। घाट डूब चुके हैं, मंदिर पानी में समा रहे हैं और तटवासी दहशत में हैं। बीते 38 घंटे में गंगा के जलस्तर में 90 सेमी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। शुक्रवार की रात आठ बजे तक यह 65.94 मीटर पर पहुंच चुका था। घाटों के आपसी संपर्क टूट चुके हैं और आरती जैसे धार्मिक आयोजन भी अब छतों पर किए जा रहे हैं। प्रशासन ने नावों का संचालन बंद कर दिया है और घाटों की ओर जाने पर रोक लगाने के लिए बैरिकेडिंग भी की गई है।
गंगा की लहरें अब एक-एक घंटे में दो-दो सेमी की रफ्तार से चढ़ रही हैं। गुरुवार सुबह 65.04 मीटर पर बह रही गंगा शुक्रवार रात 65.98 मीटर तक पहुंच गई। गाजीपुर और बलिया में भी जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है। 84 घाटों का जल में डूब जाना न सिर्फ धार्मिक गतिविधियों को प्रभावित कर रहा है बल्कि अंतिम संस्कार जैसी जरूरी रस्में भी मुश्किल बन गई हैं।
दशाश्वमेध घाट की आरती अब गंगा सेवा निधि के कार्यालय की छत पर हो रही है। संस्था के अध्यक्ष सुशांत बताते हैं कि जगह सीमित है, इसलिए श्रद्धालुओं की संख्या सीमित रखी जा रही है। आरती का लाइव प्रसारण किया जा रहा है ताकि जो लोग नहीं पहुंच पा रहे, वे घर बैठे ही जुड़ सकें। घाटों पर बढ़ते पानी ने प्रशासन की भी चिंता बढ़ा दी है।
शवदाह की स्थिति बेहद चिंताजनक हो चुकी है। हरिश्चंद्र घाट पर गलियों में चिताएं जलाई जा रही हैं, जबकि मणिकर्णिका घाट पर छत पर सीमित संख्या में अंतिम संस्कार हो रहे हैं। इस कारण शवों की कतारें लग रही हैं और परिजनों को घंटों इंतज़ार करना पड़ रहा है। गंगा का यह उफान धार्मिक शहरों की जीवन रेखा को जैसे ठहराने पर मजबूर कर रहा है।