नई दिल्ली: इन दिनों सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर किसी भी अपुष्ट या गलत दावे को पेश करना बेहद आसान हो गया है, जिसके कारण फेक न्यूज़ (Fake News) आग की तरह फैलती है। ऐसी वायरल खबरें अक्सर समाज में भ्रम और गलतफहमी पैदा करती हैं, जो कई बार खतरनाक भी साबित हो सकती हैं। इसी कड़ी में, सोशल मीडिया पर एक पोस्ट तेजी से वायरल हो रही है, जिसमें एक मशाल जुलूस को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और 'महादेव' के समर्थन से जोड़कर पेश किया जा रहा है। हालांकि, इंडिया टीवी के फ़ैक्ट चेक में यह दावा पूरी तरह से झूठा और भ्रामक निकला है।
क्या दावा हो रहा था वायरल?
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' (पूर्व में ट्विटर) पर एक यूजर ने एक वीडियो पोस्ट किया, जिसमें बड़ी संख्या में लोग हाथों में मशाल लेकर सड़क पर मार्च कर रहे हैं और नारे लगा रहे हैं। पोस्ट के कैप्शन में दावा किया गया, "यूपी के Gen-Z (युवा) सीएम योगी और महादेव के समर्थन में सड़कों पर मशाल जुलूस निकाल रहे हैं।" कैप्शन में आगे लिखा गया, "यूपी में हालात, GenZ सड़कों पर गूंज उठा नारा- 'यूपी पुलिस तुम लठ बजाओ, हम तुम्हारे साथ हैं… लम्बे-लम्बे लठ बजाओ, हम तुम्हारे साथ हैं।'"
इस पोस्ट को इस तरह से वायरल किया जा रहा था, मानो यह मशाल जुलूस उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समर्थन में राज्य के युवाओं द्वारा निकाला गया हो। यह दावा सोशल मीडिया पर तेज़ी से लाइक और शेयर किया जा रहा था, जिससे भ्रम की स्थिति बन रही थी।
फ़ैक्ट चेक की प्रक्रिया
वायरल दावे की गंभीरता को देखते हुए, इंडिया टीवी की टीम ने इसकी सच्चाई जानने के लिए विस्तृत जांच करने का फैसला किया। हमने सबसे पहले वीडियो के 'की-फ़्रेम' (Key-Frame) निकालकर गूगल रिवर्स इमेज सर्च (Google Reverse Image Search) टूल का इस्तेमाल किया।
हमारी पड़ताल में यह सामने आया कि यह वीडियो उत्तर प्रदेश का नहीं है, बल्कि इसका संबंध राजस्थान से है। हमें यह वीडियो 26 सितंबर 2025 को एक इंस्टाग्राम अकाउंट, 'udaipurwati.ki.jhalak' पर मिला। इस पोस्ट के कैप्शन में स्पष्ट रूप से बताया गया था कि यह मशाल जुलूस राजस्थान के जयपुर में निकाला गया था।
असली कारण और संदर्भ
इंस्टाग्राम पोस्ट के अनुसार, यह मशाल जुलूस सामाजिक कार्यकर्ता नरेश मीणा के समर्थकों द्वारा निकाला गया था। इस जुलूस का उद्देश्य झालावाड़ के पीपलोदी स्कूल हादसे में मारे गए बच्चों के परिवारों के लिए न्याय की मांग करना था। यह विरोध प्रदर्शन एक गंभीर स्थानीय मुद्दे से जुड़ा हुआ था, न कि यह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ या 'महादेव' के समर्थन में था, जैसा कि झूठा दावा किया जा रहा था।
दावे को पुख्ता करने के लिए, हमने नरेश मीणा के सोशल मीडिया अकाउंट्स की भी जांच की। उनके फेसबुक पेज पर हमें 25 सितंबर का एक 'लाइव वीडियो रिकॉर्ड' मिला। इस वीडियो में दिखाई दे रहे दृश्य और जुलूस में शामिल लोगों का जमावड़ा बिल्कुल वही था, जो वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहा था। यह स्पष्ट हो गया कि वीडियो का स्रोत और संदर्भ पूरी तरह से अलग है।
निष्कर्ष: दावा झूठा निकला
फ़ैक्ट चेक में यह साफ हो गया कि सोशल मीडिया पर वायरल हो रही पोस्ट के साथ किया जा रहा दावा पूरी तरह से गलत और भ्रामक है। मशाल जुलूस का वीडियो राजस्थान के जयपुर का है, जिसे राजस्थान के एक स्थानीय सामाजिक मुद्दे पर न्याय की मांग के लिए निकाला गया था। इसे जानबूझकर या अनजाने में उत्तर प्रदेश का बताकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और महादेव के समर्थन से जोड़ा गया था।